Frame of Reunion... भाग -2
पर मैं जानता था कि साना के कारण उसकी
हालत दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही थी. उसका कॉमन सेंस तो अब बिल्कुल भी कॉमन
नहीं था,
वह कहीं
भी,
किसी से
भी साना के बारे में पूछ लेता था. यहां तक की एक बार बीच क्लास में प्रोफेसर से
पूछ लिया की आज साना क्यों नहीं आई ? उस समय तो
मैंने कैसे भी करके बात को घुमा फिरा कर उसे बचा लिया. लेकिन वह यहीं नहीं रुका. उसकी असली
दुर्गति तो अभी बाकी थी .
अरमान.... नाम याद है ? जिसने आज
सबसे पहले अपना इंट्रोडक्शन दिया था. ARMAN... Arrogant Reputed MAN ? और खुद को
introduce
कराने के
बाद बाकि सबको नल्ला कहकर बेइज़्ज़ती की थी ? दरअसल वो
कॉलेज के दिनों से ही ऐसा था. कुल मिलाकर कहे तो वो अपने समय मे इस कॉलेज का गुंडा
था,
जो हॉस्टल
के लड़को के सपोर्ट से आये दिन मार पीट करते रहता था. दीपक ने साना के बारे मे
प्रोफेसर से पूछकर इतनी बड़ी गलती नही की थी, जितनी की
उसने अब कर दी थी. लंच मे मै
दीपक के साथ कैंटीन मे बैठा था और साना आज
कॉलेज नही आयी थी,
जिसपर
उसने मुझसे कई बार पूछा और उसके बार बार के सवाल से तंग आकर गुस्से मे मैने उसे कह
दिया की साना मर गई है. पर प्रॉब्लम ये नही थी की मैने ऐसे कहा. प्रॉब्लम ये थी की
उस हकले ने इस बात को सच मान लिया और अब जब से मैने कैंटीन मे उसे " साना मर
गई
" कहा था वो
वहा मौज़ूद हर किसी से यही पूछ रहा था की " साना सच
मे मर गई क्या ?
" और इसीलिए
दौरान उसने कैंटीन मे एक लड़की के साथ बैठे अरमान को छेड दिया. मुझे अब भी याद है
की अरमान जिसके साथ उस दिन कैंटीन मे बैठा था वो कुछ दिनों पहले ही अरमान से सेट
हुई थी और अरमान उसके पीछे सालो से पागल था और इन महाशय ने अरमान को जाकर छेड दिया....
"अरररररर....
मान... सससससससससाना मर गई क्या ?"
"मर गई... Wow.. अच्छा
हुआ. साली मुझे ताव दिखा रही थी एक बार. कही मैने ही तो उसे नही मार दिया ? और बाद मे
भूल गया हूँ ...? खैर,
चल खिसक
ले.. अब यहाँ से..."
"तूने..
सससससससना को मारा... ससससससससससना को मारा... मारा तूने, सससससस
साना को
"गुस्से से
थरथाराते
हुए दीपक ने
अरमान का कॉलर पकड़ कर कहा, जिसके बाद
मुश्किल से दो सेकंड ही बीते होंगे की अरमान ने दीपक की गर्दन को दबोच और बैक टू
बैक दो तीन बार सामने रखी लोहे की टेबल पर उसका सर दे मारा.
दीपक का सर टेबल पर मारने के बाद अरमान
वहा से चला गया और मै तुरंत भागकर दीपक के पास गया. दीपक अपना सर टेबल पर रखे
हुए..
हाफते
हुए.. रोते हुए वही कुर्सी पर बैठा था. उसके सर से खून निकल कर टेबल पर बहुत रहा
था,
इसके
बावजूद वो रोते हुए सिर्फ एक ही लाइन बार-बार धीमे स्वर मे दोहराये जा रहा था..
की...
"ससससससस
साना मर गई.... साना मर गई..."
फिर थोड़ी देर बाद उसने रोना बंद किया और
टेबल पर फ़ैलर खून मे अपनी उंगली डुबो डुबोकार टेबल पर साना का नाम लिखने लगा. उसकी
इस हरकत ने मुझे अंदर से झकझोर के रख दिया की ये सब मेरी गलती है..... ना तो मैने
उस दिन कुछ किया था और ना ही मै आज कुछ कर रहा था. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था, पर मैने
किया... पुरे दिल से किया.
इसी बीच तालियो की गूंज एक बार फिर पुरे
वातावरण मे गूंज उठी,
अबकी बार
एक और शख्स स्टेज पर गया और जैसा की अभी तक सब अपने अपने बारे मे बता रहे थे उसने भी अपने बारे मे बताना शुरू किया और खुद की
तारीफ कर रहे इन लोगो की बकवास पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए मैने खुद से थोड़ी दूर
खड़े दीपक की तरफ देखा. उसका ध्यान पीछे अपने दोस्तों के साथ बैठी साना सिद्दकी की
तरफ था. वो बिना पलक झपकाये नॉनस्टॉप साना को
देखे जा रहा था. उसे आज भी साना से बहुत कुछ कहना था शायद... जो उसे उस दिन
पार्किंग मे कहना था. वो उस दिन भी घबरा रहा था और आज भी उसकी घबराहट वैसी ही थी
और मै ऐसा कह सकता हु क्यूंकि उस दिन
पार्किंग मे मै भी दीपक के साथ वहा था और दीपक की तरह मै भी साना के कॉलेज के मेन
गेट से बाहर आने का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार
कर रहा था. क्यूंकि दीपाक के साथ- साथ
मुझे बहुत कुछ साना से कहना था और हम दोनों
की किस्मत अब साना के एक जवाब से निर्धारित होने वाली थी . मुझे ये तो पता
था की दीपक वहा क्यों है, लेकिन दीपक को इसकी बिलकुल भी भनक नहीं थी की , कि ....
मै वह क्यूँ हो... वो तो यही सोच रहा था की मै उसे यहाँ सपोर्ट करने आया हूँ . पर
सच ये नहीं था... सच तो कुछ और ही था .. जो कि अब बाहर आने वाला था.
मै इस वक़्त दीपक और अपने दोस्तों के साथ
पार्किंग मे खड़ा बात कर रहा था की साना अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज से बाहर आयी और
बाहर आते ही जब उसने मुझे देखा तो अपने सहेलियों के कान मे वो कुछ बोली, जिसके बाद
वो अपनी सहेलियो के साथ हसते हुए वापस
कॉलेज के अंदर चली गई. दरअसल साना को मैने ही कल रात मेसेज करके कॉलेज के बाद
मिलने के लिए कहा था और उसने मेरी बात मान
भी ली थी. ये फर्स्ट टाइम था जब मै पर्सनली साना से
मिलने वाला था. वैसे तो मै कई बार उससे फेस टू फेस बात कर चुका था लेकिन ये
मुलाक़ात अलग ही थी.. ये मुलाक़ात ख़ास थी. मै नही चाहता था की दीपक वहा हो उसलिए
मैने इनडायरेक्टली कई बार उसे हॉस्टल वापस जाने के लिए कहा, लेकिन वो
नही माना और मुझसे चिपका रहा. उसे अलग ही
विश्वास था अपने प्यार पर ... साना इस बार अकेले बाहर आई और कॉलेज के गार्डन की ओर
बढ़ चली , साना को अकेले गार्डन मे जाते
देख मैने अपने दोस्तों को इशारा किया की वो दीपक को वहा से ले जाए लेकिन साना को
देखने के बाद दीपक तो मुझसे जैसे किसी जोंक की भाति चिपक गया और फिर पता नही उस हकले मे इतनी हिम्मत कहा
से आयी की वो पार्किंग से गार्डन की तरफ दौड़ पड़ा.
दीपक को ऐसा कार्टर देख मेरे बॉडी मे रक्त का
प्रवाह दुगुना हो चला था. मेरा पूरा शरीर तपने लगा था की ये साना से क्या बोलेगा.
पर ये हाल सिर्फ मेरा नही था, यही हाल
दीपक का भी था और शायद साना का भी. मुझे डर था की दीपक, साना से i love you ना बोल
दे.. वरना क्या करूँगा मै... क्या बोलूंगा साना से मै.... ?? की... एक तरफ तो मै
उसके साथ जीने –मरने , प्यार मोहब्बत की बाते इतने दिनों से करता रहा और आज यहाँ
बुलाया.. लेकिन उसे प्रपोज़ मै नहीं बल्कि मेरा दोस्त दीपक कर रहा है...??? साना की
तरफ दौड़ते हुए दीपक ने बहुत ही विकत परिस्थिति उत्पन्न कर दी थी... साला
हकला...... अब आगे
क्या होगा, ये सोच –ससोच कर ही मेरा दिमाग घुम रहा था.
जारी ............(आखिरी भाग कल )